सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है और इसे लागू करना या ना करना राज्यों पर निर्भर करता है. कोर्ट के इसी फैसले पर बवाल शुरू हो गया है और केंद्र सरकार पर इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का दवाब बनाया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी के बाद एक बार फिर पदोन्नति में आरक्षण को लेकर विवाद गहरा गया है. शीर्ष अदालत ने शु्क्रवार को अपनी टिप्पणी में कहा कि सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है और इसे लागू करना या न करना राज्य सरकारों के विवेक पर निर्भर करता है. कोर्ट ने कहा कि कोई अदालत एससी और एसटी वर्ग के लोगों को आरक्षण देने के आदेश जारी नहीं कर सकती. सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को विपक्षी नेता आरक्षण पर खतरे के तौर पर देख रहे हैं और इसपर सियासी बवाल शुरू हो गया है.
संसद के बजट सत्र के बीच कोर्ट की ऐसी टिप्पणी पर घमासान तय है. अब विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार शीर्ष अदालत की इस टिप्पणी पर पुनर्विचार याचिका दायर करे. विपक्षी ही क्यों बीजेपी के सहयोगी दल भी कोर्ट की टिप्पणी से सन्न हैं और इसे चुनौती देने की बात कर रहे हैं. कांग्रेस खुले तौर पर कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की बात कह चुकी है.